Monday 22 February 2016

Why my marriage anniversary is different in 2016?

This poem was born out of my sadness on the current atmosphere prevalent in India. But, for every darkness, there is a light waiting for us to embrace it fully and realize its value.

Celebrating Peace... Celebrating Diversity... Celebrating Humanity
Celebrating Peace | Celebrating Diversity | Celebrating Humanity 


कैसी वर्षगांठ आई रे, मेरी कैसी वर्षगांठ आई रे...

हडतालों, विवादों ने छिनी मुल्क की शांति रे।
                           ये कैसी वर्षगांठ आई रे।।

जिनका जिम्मा था सफाई का, उन्होंने गंदगी फेलाई रे।
शिक्षा के पावन मंदिर में, लगने लगे राष्ट्रविरोधी नारे रे।।
                                               ये कैसी वर्षगांठ आई रे...

आरक्षण का गन्दा साँप, लगा फन उठाने रे।
बंद किया दिल्ली का पानी, आर्मी पड़ी बुलानी रे।।
                                    ये कैसी वर्षगांठ आई रे...

शुक्र है मेरे गुरु का, जो शांति संदेशा लाये रे।
सबको गले लगाने वाले, विश्व सांस्कृतिक उत्सव लाये रे।।

कहे रुपेश नत्मस्तक होकर, वाह रे तेरी खुदाई रे।
तेरी करनी तू ही जाने, मैं तो गद-गद हुआ मेरे भाई रे।।
         
                                      मेरी अच्छी वर्षगांठ आई रे...



Wednesday 10 February 2016

What are the benefits of doing SEWA?

I wrote the following poem with the intention to encourage more and more people to start doing SEVA...



सेवा-सेवा जपते रहे, सेवा हुई न कोय ।

जब आया मौका सेवा का, तब आगे आया न कोय ।।     

          

सेवा से हम है भागते, देके कारण हज़ार ।

क्यों ये सेवा जरूरी है, आओ करे विचार ।।                    


सेवा मारती अहम् को, भागे अन्दर का डर ।

सेवा लाती शांति को, न छोड़ो कोई अवसर ।।                        


सेवा गहना है अमीरों का, जो करे मिले सो फल ।

सेवा कोई एहसान नहीं, ये लाये खुद में बल ।।                        


सेवा बढ़ाये योग्यता, जब देखो नर में राम ।

सेवा बढ़ाये सुख-सम्पदा, न देना इसे विराम ।।                       


दास रुपेश सदा कहे, सेवा नहीं कोई व्यापार ।

ये तो कृपा है गुरु की, नत्मस्तक ग्रहण करू बारम्बार ।।